बचपन का उत्सव—सीख, विज्ञान और जागरूकता का संगम
बाल दिवस – 14 नवम्बर | SEEKH • SRIJAN • GARIMA
इस वर्ष बाल दिवस ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि सीख, रचनात्मकता और जागरूकता का एक बड़ा अभियान बन गया। SEEKH, SRIJAN और GARIMA—तीनों कार्यक्रमों ने अपने-अपने तरीके से बच्चों के अधिकार, उनकी आवाज़ और उनकी रचनात्मक क्षमता को मंच देने का प्रयास किया।
SEEKH और SRIJAN: TLM मेला—जब पढ़ाई खेल और कला से जुड़ गई
SEEKH और SRIJAN LRCs में बाल दिवस को TLM मेला के रूप में मनाया गया, जहाँ बच्चों ने स्वयं गणित–विज्ञान के मॉडल, कहानी कार्ड, भाषा खेल और स्थानीय सामग्री से सीखने के उपकरण तैयार किए। इस मेले ने बच्चों को समझाया कि पढ़ाई केवल किताबों में नहीं, बल्कि बनाने, देखने और अनुभव करने से गहराई से सीखी जाती है।
GARIMA: अधिकारों की आवाज़—किशोर सभा ने बदला गाँव का माहौल
GARIMA कार्यक्रम ने बाल दिवस को जागरूकता और अधिकार संरक्षण का महत्वपूर्ण मंच बनाया, जहाँ किशोर सभाओं के नेतृत्व में 300 से अधिक समुदायों में बाल अधिकार, बाल सुरक्षा, बाल विवाह रोकथाम और शिक्षा व सपनों के महत्व पर प्रभावी संवाद और नुक्कड़-नाटक आयोजित की गईं।
अभूतपूर्व सहभागिता—25,000+ बच्चों की उपस्थिति
इन संयुक्त उत्सवों में SEEKH, SRIJAN और GARIMA के 25,000 से अधिक बच्चों ने सक्रिय भाग लिया
और सीखने, अभिव्यक्ति और जागरूकता से जुड़े अनुभवों से लाभान्वित हुए। TLM मेले ने बच्चों को रचनात्मक सोच से जोड़ा, और नाटकों ने उन्हें समझाया कि उनके अधिकार और उनकी आवाज़ कितनी महत्वपूर्ण है।
“पहली बार लगा कि हम भी अपने गाँव में बदलाव ला सकते हैं।”… पलक (किशोर सभा सदस्य)
बाल दिवस ने इस वर्ष यह साबित किया कि जब शिक्षा, रचनात्मकता और जागरूकता एक साथ जुड़ते हैं,
तो बच्चों का उत्सव सिर्फ खुशियों का नहीं, भविष्य को सुरक्षित और सशक्त बनाने का माध्यम बन जाता है।








