धरती, संस्कृति और पढ़ाई
धरती, संस्कृति और पढ़ाई—छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस
इस वर्ष SEEKH और SRIJAN कार्यक्रमों में 450 से अधिक LRCs ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस को केवल सांस्कृतिक आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक अनुभव के रूप में मनाया। इस उत्सव में 20,000 से अधिक बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया—जहाँ कला, संस्कृति, प्रकृति और पढ़ाई एक खूबसूरत धागे में बंधकर सामने आए।
बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया—जहाँ कला, संस्कृति, प्रकृति और पढ़ाई एक खूबसूरत धागे में बंधकर सामने आए।
फेलोज़ और शिक्षकों ने इस दिन को academic promotional activity में बदलते हुए बच्चों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध पहचान— लोकनृत्य, तीजा-पोरा, जंगल, धान, लोककथाएँ, मृदा-कला और बस्तर के रंग—इन सबको चित्रकला, पोस्टर निर्माण, कहानी लेखन, नक्शा गतिविधियों और समूह-चर्चाओं के माध्यम से सीख से जोड़ने का अवसर दिया।
कई बच्चों ने “मोर छत्तीसगढ़” थीम पर अपने गाँव की कला, जीवन और परंपराओं को चित्रों और मॉडल्स के माध्यम से प्रस्तुत किया। मिट्टी की कला ने बच्चों को shapes, patterns और measurements समझने में मदद की, और लोककथाओं ने भाषा, अभिव्यक्ति और रचनात्मक लेखन को मजबूत किया।
इस आयोजन का सबसे सुंदर परिणाम था—बच्चों ने अपनी संस्कृति, अपने परिवेश और अपनी पढ़ाई के बीच का संबंध स्वयं खोजा। वे समझ पाए कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है; यह उनकी जमीन, उनके अनुभव और उनकी जड़ों से भी उतनी ही गहराई से जुड़ी है।
SEEKH और SRIJAN के लिए यह दिन इस बात की पुष्टि था कि—जब शिक्षा संस्कृति का हाथ थाम लेती है, तो बच्चों की सीख न केवल बढ़ती है, बल्कि उनकी पहचान, आत्मविश्वास और समझ को भी नया आकार देती है।











